आके कान्हा फिर से बंशी बजा दे
कलयुगी गोपियों को फिर से नचा दे
आके कान्हा तू फिर से बंशी बजा दे
कर रहे भष्ट्राचार और भष्ट्राचारियों को तू सजा दे
बढ़ रहे अत्याचार और अत्याचारियों को मिटा दे
आके कान्हा फिर तू फिर से बंशी बजा दे
बात बात पे होती है गंगा, यमुना की सफाई की बात रे
हुई न आज 70 बरसो में साफ रे
फिर से तू आके इसे निर्मल करवा दे
आके कान्हा फिर से बंशी बजा दे
लाज तू इस कलयुगी द्रोपदी का बचा दे
लचरे और लाचार हुए कानून व्यवस्था का सुधार करवा दे
आके कान्हा फिर से बंशी बजा दे
फिर से तू वही धुन तू सुना दे
आर्यावर्त के लोगो को फिर से झुमा दे
वेरी हो गए लोग एक दूसरे के
उसको आके प्रेम का पाठ पढ़ा दे
आके कान्हा फिर से बंशी बजा दे
अब तो मोहे लगी तोह पे ही आस रे
दुनिया का एकमात्र तू ही विशवाश रे
आके इस युग कलयुग का उद्धार करवा दे
आके कान्हा फिर से बंशी बजा दे.....
~विकास कुमार गिरि
Beautifully painted the pictures of present society -its problems and remedy. He is God Krishna who can save us from injustice. Let it be quoted some line... लाज तू इस कलयुगी द्रोपदी का बचा दे लचरे और लाचार हुए कानून व्यवस्था का सुधार करवा दे आके कान्हा फिर से बंशी बजा दे Thanks for sharing.
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Beautifully painted the pictures of present society -its problems and remedy. He is God Krishna who can save us from injustice. Let it be quoted some line... लाज तू इस कलयुगी द्रोपदी का बचा दे लचरे और लाचार हुए कानून व्यवस्था का सुधार करवा दे आके कान्हा फिर से बंशी बजा दे Thanks for sharing.
Thank you very much sir