टिड्डी दल- तबाही! भय! दिनभर!
रातों में पछुगण- क्या कहें!
राहतबचाव कार्य- सरकार की अच्छी पहल!
सराहनीय क़दम!
जीप पर सवार इल्लियों के बारे में
किसने नहीं सुना, पढ़ा!
कहानियों में जीवित है अभी भी।
जीप पर सवार हुई थी
इल्लियाँ एक बार,
मुझे लगता है
इस बार इन टिड्डियों की बारी है
जीप की सवारी करने की।
आपको क्या लगता है?
Tiddi dal- tabahi! Bhaya! Dinbhar!
Raaton mein paschugana- kya kahein!
Bilkul sahi baat. Hame bhi yahi lagta he. Bahut khub. Loved it.
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
आज आपने शरद जोशी की 'जीप पर सवार इल्लियाँ' दोबारा पढने पर मजबूर कर दिया. अच्छा सन्दर्भ लिया है. कविता रोचक है. धन्यवाद.
जी धन्यवाद आपका! मेरा सौभाग्य!