जीप पर सवार टिड्डियाँ- टिड्डी दल Locust Attack Poem by Jagdish Singh Ramana

जीप पर सवार टिड्डियाँ- टिड्डी दल Locust Attack

Rating: 5.0

टिड्डी दल- तबाही! भय! दिनभर!
रातों में पछुगण- क्या कहें!
राहतबचाव कार्य- सरकार की अच्छी पहल!
सराहनीय क़दम!

जीप पर सवार इल्लियों के बारे में
किसने नहीं सुना, पढ़ा!
कहानियों में जीवित है अभी भी।
जीप पर सवार हुई थी
इल्लियाँ एक बार,
मुझे लगता है
इस बार इन टिड्डियों की बारी है
जीप की सवारी करने की।
आपको क्या लगता है?

Tiddi dal- tabahi! Bhaya! Dinbhar!
Raaton mein paschugana- kya kahein!

Saturday, January 25, 2020
Topic(s) of this poem: ironic
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 05 April 2020

आज आपने शरद जोशी की 'जीप पर सवार इल्लियाँ' दोबारा पढने पर मजबूर कर दिया. अच्छा सन्दर्भ लिया है. कविता रोचक है. धन्यवाद.

1 0 Reply

जी धन्यवाद आपका! मेरा सौभाग्य!

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Akhtar Jawad 14 March 2020

Jagdish feels and converts his feelings in nice poems.

1 0 Reply
Anil Kumar Panda 08 February 2020

Bilkul sahi baat. Hame bhi yahi lagta he. Bahut khub. Loved it.

1 0 Reply

Thank you dear Sir for this lovely comment.

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