थी मझधार में कश्ती, किनारे आ लगी है अब
जाने कैसे हुआ ये सब, ना जानूँ मैं, है जाने रब
यादों में कभी घुलती कभी आंसू से थी धुलती
तुम्हें खोया था ख्वाबों में, सितारों में है ढुंढा अब ॥
मेरी चाहत की लहरों में, तेरी आहट सी बूंदों ने
जगाया था मुझे तुमने सिखाया प्रेम का मतलब
परिंदों में चहक तेरी है फूलों में महक तेरी
मेरी आहों से चाहत तक नहीं कुछ भी है तेरा सब ॥
मिटा आया हूँ मैं हसरत तुम्हारी बाहों में शाक़ी,
तुम्हारे नाम में रहमत बना है प्रेम मेरा मजहब
नहीं तुझ सा कोई सुंदर तू सच्चों में भी सच्चा है
बुलाओगी ना आऊँगा! निभाऊंगा वचन फिर कब
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मेरी चाहत की लहरों में, तेरी आहट सी बूंदों ने जगाया था मुझे तुमने सिखाया प्रेम का मतलब परिंदों में चहक तेरी है फूलों में महक तेरी मेरी आहों से चाहत तक नहीं कुछ भी है तेरा सब ॥ - Excellent description.Thanks for sharing.