हरे भरे खेतों में, खिले हुए फूलों के बीच,
गर्म गर्म हवाओं से जूझता यह पीपल का पेड़,
इसकी शाखाएँ आसमान तक ऊँची हैं,
शक्ति और अनुग्रह का प्रतीक हैं ।
इसके पत्ते कोमल सरसराहट करते हैं,
न जाने हवाओं से ये क्या फुसफुसाहट करते हैं,
इसकी शाखाएँ स्वतंत्र रूप से झूमती हैं,
प्रकृति की महिमा में एक नृत्य करती है,
देखने वाले सभी के लिए एक उपहार।
हर मौसम में,
पीपल का पेड़ ऊँचा और सच्चा खड़ा है,
आशा की किरण,
जीवन की सुंदरता के लिए एक श्रद्धांजलि,
प्रकृति के बीच इसका सौंदर्य देखते ही बनता है ।
इसके विपरीत,
उसका रिश्तेदार पीपल,
कठिन जीवन व्यतीत कर रहा है.
कई राजमार्गों और चौराहों से घिरा हुआ है,
वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुंआ पी रहा है,
उसके पत्ते ताजी हवा से वंचित हैं,
उसकी सहायता की गुहार -
वाहनों के शोर के बीच अनसुनी रह जाती है।
ये बड़ी दुखद बात है को आज पेड़ों को भी ये सब सहना पढ़ रहा है, ये समस्या का कोई हल है क्या?
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Such a beautiful poem on Peepal tree. Loved it in Hindi. Superb! ......Top marks and to my favourite