किसने कितना प्यार दिया
इस पार हमारे जीवन में
है मतलब नया दिया किसने
यह सोच रहा था बैठा मै
उस पार ये क्या संभव होगा
है लगा हुआ एक मेला सा
फिर भी मन मेरा अकेला सा
किस पार चला यह रेला था
एक चाह लिए अलबेला था
क्या पायेगा अपनी मंजिल
नहीं टूट तो जायेगा यह दिल
सपने कितने ही देखे मन
अपने हरदम है खोजे तन
कहीं दूर से ही आभास मिले
सूखे उपवन में फूल खिलें
चल बगिया में पानी दे दे
जीवन अपना निर्मल कर ले
अभय शर्मा
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