Nirmal Jeevan - निर्मल जीवन Poem by Abhaya Sharma

Nirmal Jeevan - निर्मल जीवन

किसने कितना प्यार दिया
इस पार हमारे जीवन में
है मतलब नया दिया किसने
यह सोच रहा था बैठा मै
उस पार ये क्या संभव होगा
है लगा हुआ एक मेला सा
फिर भी मन मेरा अकेला सा
किस पार चला यह रेला था
एक चाह लिए अलबेला था
क्या पायेगा अपनी मंजिल
नहीं टूट तो जायेगा यह दिल
सपने कितने ही देखे मन
अपने हरदम है खोजे तन
कहीं दूर से ही आभास मिले
सूखे उपवन में फूल खिलें
चल बगिया में पानी दे दे
जीवन अपना निर्मल कर ले

अभय शर्मा

POET'S NOTES ABOUT THE POEM
I think it is sometimes in February 2009.. mostly sharing it for the first time with the world unless I have mailed it to bigb.bigadda.com sometimes.. less likely..
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Abhaya Sharma

Abhaya Sharma

Bijnor, UP, India
Close
Error Success