क्या है वो - What It Is! ! ! Poem by M. Asim Nehal

क्या है वो - What It Is! ! !

Rating: 5.0

पसेमंज़र भी है ग़ुरूब भी है
नज़र के सामने होकर
वो दिल से दूर भी है
जो छू ता हूँ तो सिमट जाती है
जो देखू गर तो शर्माती है

मिलके भी जो न मिटी एक प्यास है वो
ख़ामोशी का सदा एहसास है वो
सोये में नज़र आती है और जागे में गुमं है
न जाने किस शायर के पास है वो (जाने किस शायर के तस्सव्वुर का ख्वाब है वो)

बेवजह मुस्कुराती है कभी वजह पे रुलाती है
किस अदाकार का जज़्बात है वो
उड़ जाती है तितली बन के कभी
कभी शाहीन सा लेती है परवाज़ भी वो

समझ में आता नहीं ये चक्कर क्या है
गुल समझता रहा जबकि गुले गुलज़ार है वो

Thursday, December 31, 2015
Topic(s) of this poem: life,philosophy
COMMENTS OF THE POEM
Akhtar Jawad 28 March 2016

A nice thoughtful poem....................

1 0 Reply
T Rajan Evol 01 January 2016

Kya baat hai pasemanzar bhi hai ghurub bhi hai

1 0 Reply
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