Vikas Kumar Giri Poems

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1.
Aake Kanha Phir Se Bansi Baja De

आके कान्हा फिर से बंशी बजा दे
कलयुगी गोपियों को फिर से नचा दे
आके कान्हा तू फिर से बंशी बजा दे
...

भूखे, गरीब, बेरोजगार, अनाथो और लाचार की दास्तान लिखने आया हूँ
हाँ मैं आजाद हिंदुस्तान लिखने आया हूँ|

एक ही कपड़े में सारे मौसम गुजारनेवाले
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3.
Maa Tu Jagai Na Hoti To Mai Soya Hi Rah Jata

माँ अगर तू जन्म न देती तो मैं दुनिया ही न देख पाता
माँ तू खुद भूखी रहकर खिलाई ना होती तो मैं भूखा ही रह जाता
अगर तू चलना न सिखाती तो मैं चल नहीं पाता
माँ अगर तू लोरी गा के सुनाइ ना होती तो मैं चैन से सोया नहीं होता|
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4.
Shayad Yahi Pyar Hai

जब से तुम रूठी हो तब से दिल
ये टुटा है
अब मैंने जाना है लोग इसमें क्यों बीमार है
शायद यही प्यार है, शायद यही प्यार है|
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5.
Ye Tere Pyar Ka Hi Junoon Hai Jo Mai Pahad Tod Du

मैं अकेला थक सा जाता हूँ फिर जब तेरी कदमो की सुनता हूँ आहट, जब याद आती है तेरी चाहत
इस जूनून में मैं हजार बार तोड़ दू
ये तेरे प्यार का ही जूनून है जो मैं पहाड़ तोड़ दू|
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6.
Kab Karoge Is Dahej Pratha Ko Khtam

कैसा ये रीति-रिवाज बना
जो लड़कियों के लिए अभिशाप बना इसकी वजह से न जाने कितनी लड़कियां चढ़ जाती है फांसी
क्या तुझमे औकात नहीं है खुद की शादी
करने की
...

7.
Dost Tu Hi Sona Chandi Re

कभी जो मै रुठु तो तू मनाए
कभी जो तू रूठे तो मैं मनाऊं
चलती रहे इसी तरह जिन्दगानी रे
दोस्त तू ही सोना चांदी रे.....
...

8.
Chedni Hai Hind Me Hak Ki Ladai

छेड़नी है हिन्द में हक़ की लड़ाई फिर से हो जाओ एक हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
किसी के बहकावे में हम नहीं आएंगे भाई
अब हम नहीं करेंगे कभी भी लड़ाई
...

9.
Mere Guruwar

दुनिया में होते है ये सबसे महान
जिसकी करते है सभी गुणगान
'गुरु विश्वामित्र, बशिष्ठ, अत्रि'
जिसको पूजते स्वयं भगवान
...

लालटेन की रोशनी में पढ़ के मैंने I.A.S
बनते देखा है,
बिजली की चकाचौंध में मैंने बच्चे को
बिगड़ते देखा है,
...

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