कल रात मेरी आत्मा रो पड़ी - 'हे भव्य स्वर्ग के क्षेत्र,
Translation By: M. Asim Nehal
Original Poem: Last Night My Soul Cried O Exalted Sphere Of Heaven
By Maulana Jalaluddin Rumi
तुम तो उल्टा लटक रहे हो, पेट में आग लिए.
तुम तो उल्टा लटक रहे हो, पेट में आग लिए
पाप और अपराध से परे, अपने शरीर पर घूमते हुए
शोक का रंग उठाये हुए.कभी खुशी कभी ग़म
वैसे ही जैसे अब्राहम, कभी राजा कभी रंक, इब्राहिम-ए अधम
एक भयानक रूप धरे, फिर भी पीड़ा से रहित:
'कभी चक्की की तरह गोल लिए तो कभी साँप की तरह लहराते हुए'
और धन्य स्वर्ग ने जवाब दिया -
'कैसे मै न उससे डरूं जो स्वर्ग रुपी धरती को नरक बना देता है'
वह जिसके हाथ में पृथ्वी एक मोम सामान है - जिसने जैंगि और रूमी को बनाया '
जिसने बाज़ और उल्लू को बनाया, उसने चीनी और ज़हर भी बनाया '
वही जो छिपा हुआ है - मेरे दोस्त, हमें ऐसा शरीर दिया ताकि वह छुपा रह सके, सोचो कैसे दुनिया का सागर एक तिनके के तले छुप गया?
'और तिनके का रूप निर्धारित किया जैसे नृत्य करती लहरें, कभी ऊपर - कभी नीचे '
और तुम्हारे शरीर को भूमि की तरह आत्मा के पानी पर तैरा दिया,
और तुम्हारी आत्मा पर शरीर का जामा पहना दिया - जो सुख और दुःख में एक जैसे रहे
जैसे घूंघट में एक नई दुल्हन थोड़ी क्रोधी और थोड़ी हठी:
यह एक संगठित ताना बाना है अच्छाई और बुराई से बना
उसी ने पृथ्वी को एक हरी घास का मैदान बनाया जहाँ आकाश बेचैनी का कर रहा हैं
और उसी के माध्यम से हर तरफ एक भाग्यशाली है जो माफ़ और संरक्षित किया जाता है
उसी के माध्यम से साधक को निश्चितता, धैर्य, अनदेखी और प्यार मिलता है,
और पृथ्वी उसी के माध्यम से - आदम का रूप ले रही है।
हवा ढूंढती फिर रही है, पानी हाथ धो रहा है
हम मसीहा की तरह बोल रहे है
और पृथ्वी- माँ मैरी की तरह चुप
थामो इस जहाज रुपी धरती को जो अंतरिष्क का चक्कर लगा रही है
पकड़ो इस मक्के के काबा को जिसके निचे से ज़मज़म का कुवां बह रहा है!
राजा कहता हैं, 'चुप रहो, अपने आप को इस कुवे में न डालो - क्योंकि
तुम नहीं जानते कैसी बाल्टी और रस्सा चाहिए मुझ से निकल ने के लिए '
An amazing translation of an outstanding poem......................................
मौलाना रूमी की इस गहन आधात्मिक कविता का हिंदी रूपांतरण जिस कलात्मकता से किया है वह बहुत खुबसूरत है और प्रशंसनीय है. मैं चाहता हूँ कि अनुवाद के इस क्रम को बमाये रखें. आपको बहुत बहुत बधाई एवम् धन्यवाद. ]]] जैसे घूंघट में एक नई दुल्हन थोड़ी क्रोधी और थोड़ी हठी: यह एक संगठित ताना बाना है अच्छाई और बुराई से बना
Very nice poem. I have not read the English version but after reading your translation I will search for it also. Thank you for sharing.