बिखर गयी है खुशबू हवाओं में
उड़ गए हैं पंछी अब फ़िज़ाओं में
बादल भी अब बरसने को है
प्यास ज़मीन की भुझने को है
हो रहा है जब समां इतना सुहाना
दिल क्यों न बन जाये दीवाना
झूमकर आज उसे बहकने दो
मचलने दो नाचने दो और गाने दो
क्या पता फिर कब आएगा ये समां
इस ज़मीन पर रहता है अक्सर धुआँ धुआँ
इस ज़मीन पर रहता है अक्सर धुआँ धुआँ - एक दिल को झंझोरने वाली ग़ज़ल है, हम सब ये देख और महसूस कर रहे हैं, बहुत बढ़िया
The moment in that nature becomes kind to this earth is the moment to enjoy life, who knows what's going to happen in the next moment.
zindagi me aise pal bht kaam hi milte h janab... well encrypted sir