किस किस की सुने इस दुनिया में'
मन और कहे तन और कहे
दिल और दिमाग के संघर्ष में
पापी जीवन कुछ और कहे
क्या सोचा था क्या होता है
होनी पर कब किसका बस है
उदास चेहरों पर खुशियां जाने कब छलकेंगी
तक़लीफ़ इस जहां की जाने कब सर से गुज़रेगी
मुस्कुराती आँखों का पता क्यों भूल गयी हैं हवाएं
मंज़िल सामने है अब आँखों को क्यों न नज़र ये आयें
ठहर गया है लम्हा यह सोच कर के अब
वो आएगी तो क्या ज़ख़्म दिखलाऊंगा मै
सारे गिले सरे शिक्वे समेट कर के रखना अब तुम
वादा जो पूरा होगा ये भी हवा हो जायेंगे
बहुत सुंदर ख़यालात और उनसे बढ़ कर इतनी आकर्षक अभिव्यक्ति. धन्यवाद, मो. आसिम जी. किस किस की सुने इस दुनिया में' मन और कहे तन और कहे दिल और दिमाग के संघर्ष में पापी जीवन कुछ और कहे
A beautiful write, well wrote.....................................
ठहर गया है लम्हा यह सोच कर के अब वो आएगी तो क्या ज़ख़्म दिखलाऊंगा मै सारे गिले सरे शिक्वे समेट कर के रखना अब तुम वादा जो पूरा होगा ये भी हवा हो जायेंगे........................superb loved it
ठहर गया है लम्हा यह सोच कर के अब वो आएगी तो क्या ज़ख़्म दिखलाऊंगा मै सारे गिले सरे शिक्वे समेट कर के रखना अब तुम वादा जो पूरा होगा ये भी हवा हो जायेंगे.......................aap ek uttam kavi hain har ek shabd dil ko choo jata hai mehsoos hota hai, , , loved and felt adding to my fav.in fact your every write is so beautiful
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Beautiful.. the uncertainty of life is expressed wonderfully...loved it.10