नये सुभाषित (Hindi) Poem by Rajnish Manga

नये सुभाषित (Hindi)

Rating: 5.0

आपके सामने कुछ वक्तव्य उद्धृत कर रहा हूँ:
‘सार्वजनिक संपत्ति को नुक्सान पहुंचाने वालों को
हमारी सरकारों ने कुत्तों की तरह मारा'
‘प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री का जो विरोध करेगा
उस को मैं जमीन में जिंदा गाड़ दूंगा'
‘मुस्लिम देशद्रोही हैं' ‘गोडसे देशभक्त है'
‘देश के गद्दारों को गोली मारो सालों को'
उपरोक्त कथन किसी गुंडे मवाली के नहीं
बल्कि सत्तापक्ष के नेताओं के सुभाषित हैं
ऐसे अनेक उदाहरण पेश किये जा सकते हैं
ऐसे बयानों की गिनती प्रतिदिन बढ़ रही है
है कोई इनको रोकने, टोकने, समझाने वाला?

Friday, January 24, 2020
Topic(s) of this poem: democracy,leaders
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
नोट: हर व्यक्ति जो केंद्र सरकार की नीतियों का अथवा किसी मंत्री के बयान का विरोध करता है उसे देशद्रोही कह दिया जाता है या ग़द्दार कह कर उसे ट्रोल किया जाता है. भद्दी गालियाँ दी जाती हैं, ट्विटर पर ट्रेंड चलाये जाते हैं. क्या इसी रास्ते पर चल कर भारत को विश्व गुरू बनायेंगे?
COMMENTS OF THE POEM
Anil Kumar Panda 17 September 2020

We are going through a very horrible time. Tolerance level is almost zero. Branding anyone as a traitor and harassing in social media has become a day to day affair. Very rightly said. Thanks for sharing.

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Akhtar Jawad 17 April 2020

Rajnish Manga is the living conscience of India.

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