किसको फुरसत है (Hindi) Poem by Rajnish Manga

किसको फुरसत है (Hindi)

Rating: 4.5

हर बशर की खुद से या औरों से जैसे होड़ है
सुब्ह से ले के शाम तक बस एक लंबी दौड़ है
किसको फुरसत है रुके थम के फिर आगे बढ़े
है खेल सारा मालो ज़र का बस यही निचोड़ है

Thursday, October 13, 2016
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COMMENTS OF THE POEM
Kezia Kezia 30 April 2017

नपे तुले शब्दों मे जिंदगी का सार बयान कर दिया है श्रीमान. बहुत खूब.

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Kezia Kezia 30 April 2017

नपे तुले शब्दों मे जिंदगी का सार बयान कर दिया है श्रीमान. बहुत खूब.

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Rajnish Manga 30 April 2017

इस कविता को पढ़ने व इस पर अपनी सुंदर समीक्षात्मक टिप्पणी देने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

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Akhtar Jawad 28 April 2017

We all are running for money and that's reason of all corruptions.

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M Asim Nehal 20 October 2016

बहुत उम्दा....दुनिया महज़ एक दौड़ बन के रह गयी है....जिसे भी देखा बस मालो ज़र जमा करते देखा..इंसानियत रह गयी पीछे पशेमां और पोशीदा, धन्यवाद राजनीशजी, पढ़ कर अच्छा लगा.10++++

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