पीड़ा की सीमा कुछ भी हो पीड़ा जीवन का अंत नहीं (Hindi) Poem by Rajnish Manga

पीड़ा की सीमा कुछ भी हो पीड़ा जीवन का अंत नहीं (Hindi)

Rating: 5.0

पीड़ा की सीमा कुछ भी हो
पीड़ा जीवन का अंत नहीं
पीड़ा में गुम हो जाने वाले
इन सब तर्कों में तंत नहीं
दुनियादारी को मत भूलो
हम इंसा हैं कोई संत नहीं

Tuesday, September 8, 2020
Topic(s) of this poem: hindi,hopelessness,life and death,pain,positiveness
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 12 September 2020

bahut achchhi kavita, , pasand.. clear 10 पहेली रविवार, १३ सितम्बर २०२० जीवन है एक पहेली बना दो उसे पक्की सहेली छोड़कर कभी नहीं जाएगी आपका हर काम आसान कर देगी। मौक़ा बार-बार नही आता गुजरा हुआ समय भी वापस नहीं आता ऐसे मे हमे जरुरी कदम उठाने है चट्टान सरीखी चोटी को सर करना है। डॉ जाडिआ हसमुख

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Kumarmani Mahakul 12 September 2020

पीड़ा की सीमा कुछ भी हो पीड़ा जीवन का अंत नहीं.........so true and touching. Pain has no end in life. We have to proceed ahead with positivity in spite of pain and hindrance. Marvelous work.10

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Varsha M 08 September 2020

Sahi bola janab aapne. Jabtak saas hai to aas hai. Ye nahi to wo he sahi. Yehi ganit damdar hai. Dhanyawad.

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M Asim Nehal 08 September 2020

क्या बात है रजनीश जी।।। पीड़ा से क्या डरना, इंसान है दिमाग के साथ दिल रखता हैं तो पीड़ा लाज़मी है, जीवन के कुछ मूल मंत्र हैं, जिन्हे आप समय समय याद दिलाते रहते हैं, हम इंसान है ये सच्चाई है बहुत बढ़िया सन्देश दिया आपने, लोग तंत्र, मंत्र में फंस कर भूल जाते हैं की सभी दुखों की एक समय सीमा तय होती है, जिनका आना और जाना लगा रहता है सय्यम से काम लेने पर वो समाप्त हो जाता है, बहुत बहुत धन्यवाद I 100+

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