मै तो अकेला ही चला था सफर-ए-इम्तेहान में,
वो कौन है जो अक्स बन पीछा कर रहा है?
उसे राह से भटकाऊ सोच मै मुडा, कुछ इधर उधर
कुछ हासिल न हुआ, वो पीछे ही रहा मेरे I
वो धुल को भी तो बखूबी उडाता है,
और मेरे बोल को ऊँची आवाज़ दिलाता है I
मुझे शर्म आती है उसके देहलीज़ पर जाने के लिया
बहुत छोटा हूँ न, आदाब नहीं जानता मै I
Badiya trasliteration hai. मुझे शर्म आती है उसके देहलीज़ पर जाने के लिया बहुत छोटा हूँ न आदाब नहीं जानता मै
You have brilliantly and excellently translated poem of great poet Rabindranath Tagore titled, " Who is This." Let me recite two lines. " वो धुल को भी तो बखूबी उडाता है और मेरे बोल को ऊँची आवाज़ दिलाता है." An excellent translation poem is presented...10
Nice translation of a wonderful poem.