कौन है वो Poem by M. Asim Nehal

कौन है वो

Rating: 5.0

मै तो अकेला ही चला था सफर-ए-इम्तेहान में,
वो कौन है जो अक्स बन पीछा कर रहा है?

उसे राह से भटकाऊ सोच मै मुडा, कुछ इधर उधर
कुछ हासिल न हुआ, वो पीछे ही रहा मेरे I

वो धुल को भी तो बखूबी उडाता है,
और मेरे बोल को ऊँची आवाज़ दिलाता है I

मुझे शर्म आती है उसके देहलीज़ पर जाने के लिया
बहुत छोटा हूँ न, आदाब नहीं जानता मै I

This is a translation of the poem Who Is This by Rabindranath Tagore
Thursday, July 9, 2020
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
Poem by Rabindranath Tagore - Who Is This
COMMENTS OF THE POEM
Mamta S 25 July 2020

Nice translation of a wonderful poem.

1 0 Reply
T Rajan Evol 22 July 2020

Badiya trasliteration hai. मुझे शर्म आती है उसके देहलीज़ पर जाने के लिया बहुत छोटा हूँ न आदाब नहीं जानता मै

1 0 Reply
Kumarmani Mahakul 09 July 2020

You have brilliantly and excellently translated poem of great poet Rabindranath Tagore titled, " Who is This." Let me recite two lines. " वो धुल को भी तो बखूबी उडाता है और मेरे बोल को ऊँची आवाज़ दिलाता है." An excellent translation poem is presented...10

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