Amrit Pal Singh Gogia Poems

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51.
A-157 तेरी फ़ितरत

A-157 तेरी फ़ितरत 16-5-15—3.05 AM

तेरी फ़ितरत जो कर देती है उदास
चाहत तेरी दूर रहे चाहे रहे तू पास
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52.
A-158 तुम्हारे प्यार में

A-158 तुम्हारे प्यार में -2-5-15


तुम्हारे प्यार में मैं तो दीवाना हो गया
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53.
A-159 पागल

A-159 पागल28-6-15-8: 24 AM

पागल हो गया हूँ या मैं तेरा दीवाना हूँ
तुम मेरी शम्मआ हो मैं तेरा परवाना हूँ
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54.
A-160 एक मुद्दत के बाद

A-160 एक मुद्दत के बाद 20.2.16—6.26 AM

एक मुद्दत के बाद तेरा आना हुआ
पहली बार तेरा यूँ मुस्कराना हुआ
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55.
A-161 किशोरावस्था

A-161 किशोरावस्था 27.6.17—6.09 AM

किशोरावस्था में रहती हूँ
कितना दुःख मैं सहती हूँ
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56.
A-162 एक झलक

A-162 एक झलक -29-4-15—3.38 AM

उसकी आँखों में संशय की झलक देखी है
सच बोलने की तमन्ना और ललक देखी है
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57.
A-163 सच के चक्कर में

A-163 सच के चक्कर में 9.5.15


सच के चक्कर में सच और भी सच्चा हो गया
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58.
A-164 दूर क्यूँ खड़े हो

A-164 दूर क्यूँ खड़े हो-22.8.15—11.01 PM

इतनी दूर क्यों खड़े हो पास मेरे तुम आओ न
अँखियाँ न भरो तुम यूँ मुझे भी यूँ रूलाओ न
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59.
A-165 हम तन्हा हुए

A-165 हम तन्हा हुए

हम तन्हा हुए उनकी जवानी देखकर
उन्होंने मुझे एक दीवाना करार दिया
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60.
A-166 तेरे आगोश में

A-166 तेरे आगोश में2-6-15 11.38 PM


तेरे आगोश में आते ही जो तूफ़ान आया
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