मैं एक हीरा हूँ, खुरदुरा जो तराशा नहीं गया अभी,
कहीं दबा हुआ, कुछ छुपा हुआ सा
मेरे पिता का कहना है की मैं सब से चमकीला हूँ
तराशा नहीं गया फिर भी अलबेला हूँ
वर्षों तक दबे रहने से कुछ धुल सी जम गयी है
बस एक जौहरी मिल जाये फिर चमक की क्या कमी है
मैंने गर्मी, सर्दी, बरसात सब सहा है
शायद इनसे चमकते रहने का उत्साह भी मिला है
एक मौका बस एक मौका मिल जाये जो कहीं
पिता का कहना है मुझ में चमक की कोई कमी नहीं
बस उठा ले कोई, झाड़ दे मेरी गर्द और तराश दे मुझको
वो मित्र मेरा मुझसे खूब सुख पायेगा, हो चूका ये गुमनामी का सफर
अब बस दिख जाएगी मेरी चमक, मैं एक नायब हीरा हूँ.....
Beautiful translation. You are master poet and you also justify other's poem by doing awesome translations.
wah.. waaah, .....kahan kahan se is tarah ke khayalath aate hain....bahuth khoob...vaqiyee heera ho..