जब जीवन चौराहे पर होता है Poem by M. Asim Nehal

जब जीवन चौराहे पर होता है

Rating: 5.0

मेरा दिमाग कहता है - इसे छोड़ो और आगे बढ़ जाओ!
मेरा दिल कहता है - रुको और विश्वास रखो!
यह एक द्वन्द युद्ध है जो - दिल और दिमाग के बीच चल रहा है

जब जीवन चौराहे पर होता है -समस्याओं से जूझता हुआ
हलाकि यह बेतुका और आलसीपन लगता है कि हम ठहर जाएँ
जबकि दिमाग ज्ञान और अनुभवों से भरा हुआ
और दिल चंचल लेकिन भावनाओं से प्रेरित

तर्क हमेशा सपनो को हराने कि पुरजोर कोशिश में रहते हैं
और आत्मा शरीर के साथ तरह-तरह के खेल खेती रहती है

यह द्वन्द युद्ध ही तो है जो जीवन को सार्थक बनाता है
वरना एक ठहरी हुई झील की तरह रहती ज़िन्दगी
न की समुद्र में उठती हुई समस्या रूपी लहरों की तरह

This is a translation of the poem On Cross Roads by M. Asim Nehal
Wednesday, September 16, 2020
COMMENTS OF THE POEM
Deepak S S 21 September 2020

Kya koob translate kiya hai apni hi kavita ka...

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Varsha M 19 September 2020

The tug of war brings us out of comfort zone Make us dive in ocean so large Explore our own abilities prime To make what was mine.. I read your English version too. Both are awesome. Painting the true struggle.

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Sharad Bhatia 19 September 2020

जीवन वास्तव मे एक द्वंद्व युद्ध हैं जिसमें हम ही सारथी(कृष्ण) , हम ही अर्जुन हैं एक बेहतरीन कविता एक बहुत बेहतरीन कविता के सरताज के द्वारा सोचने पर मजबूर... 100000+++

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Rajnish Manga 16 September 2020

लाजवाब प्रस्तुति. कहा जाता है कि चुनौतियाँ न हों या मनुष्य के सामने बाधायें न हों तो वह बौद्धिक रूप से विकलांग हो जाएगा. आपने दिल और दिमाग़ के बीच अक्सर उपस्थित हो जाने वाले द्वंद्व का ज़िक्र किया. यह दरअसल, हमारे अस्तित्व का द्वंद्व है. यह नहीं होगा तो हम आगे बढना छोड़ देंगे. हम इन बातों से बेगाना हो जायेंगे. जीवन की सार्थकता पर केंद्रित एक खुबसूरत रचना. हार्दिक धन्यवाद.

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Aarzoo Mehek 16 September 2020

Ye kashmakash Zindagi bhar ka khel hai. Jo insaan ko chain se jeene nahi deta na hi marne deta Is dil.o dimagh ke khel main Zindagi nikal jaati hai. Khoobsurat kavita.10++

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