चासनाला के शहीद मजदूरों के प्रति Poem by Rajnish Manga

चासनाला के शहीद मजदूरों के प्रति

Rating: 5.0

तुम तपस्वी कर्म के, श्रम वीर तुम्हारा अंत ओह!
हंसते हंसते तुमने ले ली जल समाधि किस लिये?
अपने तन का तुमने तो कण कण वतन को दे दिया,
फिर डस गयी अकाल ही ये काल व्याधि किस लिये?

स्वजन परिजन सब कोई रोते कलपते रह गए.
मृत्यु धारा की गति में स्वप्न सारे बह गए.
राजनैतिक शोर में चीत्कार सारा दब गया,
चासनाला जब तेरे पाताल भीत ढह गए.

दर्द तुम्हारा लोगों को महसूस ना होने पाया है.
रुदन तुम्हारा अखबारों में थोड़ा थोड़ा शाया है.
गुमनामी का जीना मरना शाप गरीबी का होता,
हमने अपने अपने मन को ये कह कर समझाया है.

तुम शहीदों के वतन में ताजवर ऐसे शहीद.
नाम जिनका कोई ना जाना कभी ऐसे शहीद.
ललकार कर उठ जाओ, दिल मेरा ये कह रहा
अपनी अनजानी जगह से बेखबर ऐसे शहीद.

मरने के बाद तो किसी को पद्मविभूषण दे दिया
अंधे के हाथों में गोया कोई दर्पण दे दिया.
दो मिनट का मौन तो घोषित करा सकते थे तुम,
या मौन रहने पर भी तुमने कोई वर्जन दे दिया.

शत तीन सौ नर देखते परलोकवासी हो गए.
कुछ ही पल में वो जो अपने थे प्रवासी हो गए.
कांपती है रूह और थर्रा उठता है ये दिल,
कल जो थे संगम बने आज काशी हो गए.

जो वतन अपने शहीदों को नहीं सम्मान देता,
इतिहास कब उसके समय को मान या सम्मान देता.
जिसने अपने देश को सोना दिया उससे मज़ाक,
आखिरी दिन आज कोई उसको नहीं शमशान देता.


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(Poem composed at Churu, Rajasthan, India)
(January 31,1976)

Friday, November 14, 2014
Topic(s) of this poem: tragedy
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
On December 27,1975 about 300 mine workers died when the coal mine they were working in (at Chasnala, Bihar) was suddenly flooded with water. Rescue operation was launched but they could not be saved. This was a major tragedy and which forced me to write this poem.
COMMENTS OF THE POEM
Kumarmani Mahakul 08 October 2018

शत तीन सौ नर देखते परलोकवासी हो गए. कुछ ही पल में वो जो अपने थे प्रवासी हो गए. कांपती है रूह और थर्रा उठता है ये दिल, कल जो थे संगम बने आज काशी हो गए.........so touching and sadness. This poem relating to the death of 300 mine workers of Bihar who were suddenly flooded with water. This is really tragedy that you have penned so touchingly. Thank you dear Mangaji for sharing this with us.

1 0 Reply
Rajnish Manga 08 October 2018

Thank you so much for reading this poem devoted to Chasnala's enormous tragedy and feeling the pain of those who could not come out alive and those who were left behind as bereaved souls.

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Ajay Kumar Adarsh 23 August 2016

bahut hi marmik kavita.............great salute for you sir

1 0 Reply
Rajnish Manga 23 August 2016

आपका हार्दिक धन्यवाद, वास्तव में, चासनाला का हादसा बहुत दुखद घटना या राष्ट्रीय आपदा थी.

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M Asim Nehal 04 October 2015

जो वतन अपने शहीदों को नहीं सम्मान देता, इतिहास कब उसके समय को मान या सम्मान देता. जिसने अपने देश को सोना दिया उससे मज़ाक, आखिरी दिन आज कोई उसको नहीं शमशान देता.

2 0 Reply
Akhtar Jawad 22 August 2015

A heart shaking description of a tragedy, , , , , , , , , , , , , , , , , , ,10

3 0 Reply
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