छोड़ दो खुला दिल को आज प्यार हो जाने दो
हसरत कहीं रह जाये न बाक़ी इज़हार हो जाने दो
चार दिन की ज़िन्दगी में क्या तू-तू मै-मै करना
हॅसते खेलते इन्हे ख़ुशी से गुज़र जाने दो
फुर्सत कभी मिली तो हिसाब लेंगे हम अपने प्यार का
अभी तो चाँद है निकला सितारों में वक़्त गुज़र जाने दो
हमें भी याद रखेगा ज़माना की क्या प्रेमी थे वो
प्रेम के सैलाब से कश्ती को गुज़र जाने दो
जनाब आसिम नेहाल जी की कविता से प्रेरित ' हो के न हो '
Thank you so much. I didn't know that someone can inspiration from my poem and will write such a brilliant poem. Great.10++
Bahut khoob likha aapne Ho jane do Sooraj ko bhi madhyam Aur chaand ko rangeen Ho jane do Phir se lawleen Unn palkon me jo hai assem Bahut khoob rachna...
Prem ko samarpit ek khubsurat kavita. चारदिन की ज़िन्दगी में क्या तू-तूमै-मै करना. Prem sambandhon me pyaar hi na ho to zindagi kis kaam ki. Khaali तू-तू मैं-मैं se kya haasil higa. Thanks.
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Waah bohot khoob. Ek khoobsurat ghazal.