जीवन से परे Poem by M. Asim Nehal

जीवन से परे

Rating: 5.0

अस्त होता सूर्य और आकाश में चमता सितारा
क्या यह स्पष्ट बुलावा नहीं!
और जब मै समुद्र से मिल जाऊँगा
न कोई शोर न शराबा होगा

समुद्र में उठती लहरें एक दम शांत लगने लगेगी
आवाज़ और झाग से भरी हुई
जैसे बहुत गहरायी से निकली हुई
और अब घर को लौट चली

गोधूलि और संध्या की बजती घण्टियाँ,
इसके बाद होता अँधेरा
अब शायद मेरे जाने का कोई दुःख न होगा
जब मै अनंतकाल चला जाऊँगा

हालांकि मौत कि बाढ़ मुझे दूर ले जाएगी
शोक के समय और स्थान से
वहां, जहाँ मै अपने ईश्वर से रूबरू होगा
इस जीवन को त्याग कर.

This is a translation of the poem Crossing The Bar by Alfred Lord Tennyson
Sunday, November 22, 2020
Topic(s) of this poem: life and death
COMMENTS OF THE POEM
Aarzoo Mehek 25 November 2020

Beautiful translation. Death can be so beautiful The joy of meeting god is so vivid in this poem. 5******

1 0 Reply
T Rajan Evol 22 November 2020

क्या गजब का ट्रांसलेशन किया है आपने पढ़कर बहुत मजा आया यह एक दिल को छू लेने वाली कविता है एक महान कवि द्वारा लिखी हुई जो जीवन के अंतिम क्षणों में अपने ईश्वर से मिलने तथा उनसे रूबरू होने कि अपनी मना स्थिति को बखूबी लिखा और यह प्रार्थना भी की कि इस कविता को सबसे आखरी कविता के रूप में प्रकाशित किया जाए ताकि लोगों को यह मालूम हो कि यह उनका अंतिम कार्य था

1 0 Reply
Kumarmani Mahakul 22 November 2020

अस्त होता सूर्य और आकाश में चमता सितारा क्या यह स्पष्ट बुलावा नहीं! ....This poem is very beautifully penned with interesting philosophy. Life s followed by death. This is very true. Always there is clear indication. An amazing poem is shared.

1 0 Reply
Close
Error Success