आदमी जब खुद से बात करता है
लोग अक्सर यही कहते हैं
‘इसका दिमाग़ खराब हो गया है'
लेकिन मैं कोई विक्षप्त नहीं हूँ
जब भी खुद से बातों का दिल करता है
कभी सड़क पर अथवा बाहर घर के
नहीं निकलता, एहतियात इतनी रखता हूँ
मौन ही रह कर खुद से बातें कर लेता हूँ
बातचीत भी खुद से तब ही कर लेता हूँ
प्रश्नोत्तर में समाधान भी मिल जाता है
यह समस्या और समाधान के मध्य सफ़र है
बड़ा अनोखा होने पर भी सफल बड़ा है.
A nice description of ego's talks with the super ego, well penned poem.
Yes, you are right. Gossiping with self is not madness rather this truth reveals many solutions to problems faced. Wonderful decisions are basing on this....10
Yes, you have expressed it very nicely. This may be interpreted as a self exploration exercise. Thanks a lot.
खुद से बातें करना बुज़ुर्गी की निशानी है और एक परिपक्व मस्तिष्क की एसा करता है, समझदारी ये भी है की किसी और के सामने नहीं बल्कि अकेले में खुद से बातें होती है, जीवन में एसे पल भी आते हैं जब हम कुछ सवाल खुद से करते हैं और जवाब भी खुद ही से तालाब करते हैं किसी और की दखलंदाज़ी कतई नहीं चाहते, बहुत बढ़िया कविता है ज्ञान और समझदारी से भरपूर - आप पूर्ण रूप से बधाई के पात्र हैं इस रचना के लिए, धन्यवाद राजनीशजी-10++
'खुद से बातें करता हूँ' कविता की इतनी सुंदर व्याख्या आपने प्रस्तुत की है कि मेरे पास तारीफ़ के शब्द नहीं हैं. आप बहुत अच्छी हिंदी लिखते हैं. बहुत बहुत धन्यवाद, मो. आसिम जी.
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रहस्यवादी। " bahroñ vaid ma dhūndan tur jiñ sab kuchh tere andar Andare chor, fakīr v andare, andare mast qalandar."