उस दिन मेरे पुराने सामान से निकली
एक पुरानी टाइमपीस
जिसका डायल गोल और
रंग गाढ़ा सुर्ख लाल था
बाहर का निक्कल अब भी
चाँदी सा था चमक रहा
रेडियम वाली सुइयाँ उसकी थीं जिससे
अंधकार में भी समय देखना संभव था
चाबी भरने से चलती थी घड़ी हमारी
मैंने चाबी भरी तो देखो चल निकली
और अलार्म बजा कि जैसे नींद खुली हो
तीस बरस के बाद पुनः
मन मयूर खिल उठा देख यह करतब सारा
और नाचने लगा किसी के बिन देखे
क्योंकि मेरे निजी संग्रह का वह हिस्सा थी
फिर से मैंने एहतियात से
टाइमपीस को उसी तरह से
उसी जगह पर रख छोड़ा है.
Many things that belonged to our parents and grandparents bring sweet memories of lost time. The poet has nicely captured the sentiments of a heart by seeing an old Timepiece. A wonderful poem!
Exactly. Such items are like souvenirs and evoke nostalgic images. Thanks for your lovely comments on the poem, Akhtar Jawad Sahab.
क्या याद करवा दिया आपने, मेरे पापा के पास लाल डायल वाली रेडियम घडी, हाथ पर बांधने वाली, आज भी है जो शायद ३५ से भी अधिक वर्ष पुरानी होगी और मेरे पास हरे डायल की सिको घडी है जो १९८४ में पापा ने भेट दी थी.....स्प्रिंग से चलती है और चमक वैसी की वैसी.......कुछ यादें सच मुच अनमोल हो जाती है इन घड़ियों की तरह......धन्यवाद, इससे पढ़कर अतीत की पन्नों से कुछ यादें दोहराने का अवसर प्राप्त हुआ..वो समय लौट कर नहीं आ सकता पर घडी तो है ये क्या कम है...धन्यवाद राजनीशजी....
वाह... आसिम जी, आपने पुराने समय की बात सुना कर दिल खुश कर दिया. वाकई में ये छोटी छोटी वस्तुएं अनमोल होती हैं हमारी खुबसूरत यादों की तरह. मैं आपका आभारी हूँ.
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Dear Mangaji' you have nicely captured the lovely past time of parents and grandparents and centiments of hearts. Nicely depicted. Each and every line is amusing and touching. I love most lines are.. मन मयूर खिल उठा देख यह करतब सारा और नाचने लगा किसी के बिन देखे क्योंकि मेरे निजी संग्रह का वह हिस्सा थी फिर से मैंने एहतियात से टाइमपीस को उसी तरह से उसी जगह पर रख छोड़ा है. Thanks for sharing.
Thank you very much, Sir, for your valuable comments and appreciation for the poem.