LEISURE
Poet: W.H.Davies
Hindi Translation by Rajnish Manga
फुरसत
मूल कविता डब्ल्यू.एच.डेविस द्वारा
हिंदी रूपांतरण रजनीश मंगा द्वारा
जीवन क्या है जीवन जिसमे रहे काम और केवल काम.
हमें भान भी हो न सके यह धरती है कितनी अभिराम.
किसी वृक्ष की छाया में बैठें, इतनी फुरसत मिल न सकी,
भेड़ों गायों के रेवड़ को भी, तकने की हसरत खिल न सकीं.
वनप्रांतर में आये गये पर, वन की सुंदरता न लिपा सके,
चालाक गिलहरी जहां तृणों में, अपने मेवों को छिपा सके.
वक़्त कहाँ है देख सकें, जो दरिया की चमकती धारा है,
या हुआ अलौकिक निशा समय नभ में इक-इक तारा है.
सुन्दर बाला के नयनों के सब बाण अकारथ चले गये,
हम उसके पैरों की झांझर, न नृत्य कला से छले गये.
इतनी फुरसत कहां कि देखें उसके मुख की आकृतियां,
फूटेगी जिनसे मुसकाने, नयनों से झरेंगी फुलझड़ियाँ.
निर्धन है वह जीवन जिसमे रहे काम और केवल काम,
हमें भान भी हो न सके यह धरती है कितनी अभिराम.
Thanks for your kind visit and for words of appreciation about this poem, Madam.
Beautiful translation of great poem! It's one of my favorite poems. I enjoyed its translated version most..! !
It gives me great pleasure to note that you have gone through the Hindi translation of the above poem and found it worthwhile. Thank you so much, Dr Dillip, for your inspiring comments.
Ati uttam anuwad kiya aapne, Is roopantar ke liye badhaiyan.....10+++
I am extremely grateful to you for your appreciative comments on this translated version of the poem. Thanks, Mohd. Asim ji.