कृपा और सज़ा (Hindi) Poem by Rajnish Manga

कृपा और सज़ा (Hindi)

Rating: 5.0

मैं खुश हूं कि मुझे करोना नहीं हुआ
ईश्वर ने मुझ पर बड़ी कृपा की है
पर मैं दुखी हूं आठ लाख कोविड मौतों के लिए
मुझे लगता है कि ईश्वर ने
उन बेचारों के साथ बड़ी नाइंसाफ़ी की है
पापों और कर्मों की सज़ा लाखों लोगों को एक साथ
एक जैसी क्यों? यह कैसी मान्यता है मेरे समाज की?

Sunday, August 23, 2020
Topic(s) of this poem: death,disease,hindi,injustice
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
अब तक आठ लाख मौतें विश्व भर में हो चुकी हैं. भारत में भी 58 हजार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. यहाँ मेरा तात्पर्य गिनती से नहीं है बल्कि यह कहने से है कि क्या प्रचलित मान्यता के अनुसार दुनिया भर के करोड़ों लोगों ने इस जन्म में या पिछले जन्म में एक ही पाप किया था या एक साथ ही कोई पाप किया था जो उन्हें इस महामारी ने अपना शिकार बनाया. यहाँ तक कि लाखों लोग अपनी जान से ही हाथ धो बैठे. और अभी यह सिलसिला थमा नहीं है. यह क्यों नहीं मान लिया जाता कि यह सब मनुष्य द्वारा प्रकृति से किये गए खिलवाड़ का नतीजा है. हाँ, इसे हम मानवता का सामूहिक पाप भी कह सकते हैं.
COMMENTS OF THE POEM
Aarzoo Mehek 03 September 2020

Ek aisa sawal jiska jawab sirf khuda de sakta. Shayad hum insanon ke karmon ki kagar bhar chuki thi. Ya bas dil ko behla rahe hai aisi batein karke. Sach to ye hai ki ye mahamari bhi insanon ki den hai lekin ilzam khuda ko dete hai. Khuda mahfooz rakhe sabko.

0 0 Reply
Varsha M 25 August 2020

Maut to hui hai Paap bhi sangeen hai Par ham kaun hai Ye poochhne wale Ki nyaya kayse kiya hai. True reflection of words.

0 0 Reply
Sharad Bhatia 24 August 2020

गुरुजी सादर प्रणाम, यह हमारे कर्मों का भुगतान हैं जो यह प्राकृतिक आपदा आयी हाँ जी दुख हैं कि हमारे प्यारे से देश को नज़र लग और इसकी चपेट में हमारे 800,000 भाई बहन आये. एक दुख यह भी कि क्यूँ सरकार ने शराब की बिक्री चालू करवाई चंद रेवन्यू के चक्कर मे प्राकृतिक आपदा को और बढावा दे दिया पर आपका बहुत - बहुत आभार कि आपने एक दिल छूने वाली कविता के माध्यम से अपना दुख व्यक्त किया आपका छोटा सा शिष्य (शरद भाटिया)

0 0 Reply
Kumarmani Mahakul 24 August 2020

पापों और कर्मों की सज़ा लाखों को क्यों? .....Iswar sabka krupa karte hein. Insan apne Phila wa past life ka kamon ke phal ko bhogte hein. Manga ji, apne bahut achha sabal ke madhyam se ye poem ko likha. Very beautiful poem.10

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Rajnish Manga

Rajnish Manga

Meerut / Now at Faridabad
Close
Error Success