मैं खुश हूं कि मुझे करोना नहीं हुआ
ईश्वर ने मुझ पर बड़ी कृपा की है
पर मैं दुखी हूं आठ लाख कोविड मौतों के लिए
मुझे लगता है कि ईश्वर ने
उन बेचारों के साथ बड़ी नाइंसाफ़ी की है
पापों और कर्मों की सज़ा लाखों लोगों को एक साथ
एक जैसी क्यों? यह कैसी मान्यता है मेरे समाज की?
Maut to hui hai Paap bhi sangeen hai Par ham kaun hai Ye poochhne wale Ki nyaya kayse kiya hai. True reflection of words.
गुरुजी सादर प्रणाम, यह हमारे कर्मों का भुगतान हैं जो यह प्राकृतिक आपदा आयी हाँ जी दुख हैं कि हमारे प्यारे से देश को नज़र लग और इसकी चपेट में हमारे 800,000 भाई बहन आये. एक दुख यह भी कि क्यूँ सरकार ने शराब की बिक्री चालू करवाई चंद रेवन्यू के चक्कर मे प्राकृतिक आपदा को और बढावा दे दिया पर आपका बहुत - बहुत आभार कि आपने एक दिल छूने वाली कविता के माध्यम से अपना दुख व्यक्त किया आपका छोटा सा शिष्य (शरद भाटिया)
पापों और कर्मों की सज़ा लाखों को क्यों? .....Iswar sabka krupa karte hein. Insan apne Phila wa past life ka kamon ke phal ko bhogte hein. Manga ji, apne bahut achha sabal ke madhyam se ye poem ko likha. Very beautiful poem.10
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
Ek aisa sawal jiska jawab sirf khuda de sakta. Shayad hum insanon ke karmon ki kagar bhar chuki thi. Ya bas dil ko behla rahe hai aisi batein karke. Sach to ye hai ki ye mahamari bhi insanon ki den hai lekin ilzam khuda ko dete hai. Khuda mahfooz rakhe sabko.